SHIV CHAISA - AN OVERVIEW

Shiv chaisa - An Overview

Shiv chaisa - An Overview

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जय सविता जय जयति दिवाकर!, सहस्त्रांशु! सप्ताश्व तिमिरहर॥ भानु! पतंग! मरीची! भास्कर!...

जय गिरिजा पति दीन दयाला। सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥

तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥

श्रावण मास विशेष : शिव बिल्वाष्टकम् का पाठ,देगा मनचाहा लाभ

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥

दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै॥

ॠनियां जो कोई हो अधिकारी। पाठ करे सो पावन हारी॥

अर्थ: हे शिव शंकर भोलेनाथ आपने ही त्रिपुरासुर (तरकासुर के तीन पुत्रों ने ब्रह्मा की भक्ति कर उनसे तीन अभेद्य पुर मांगे जिस shiv chalisa in hindi कारण उन्हें त्रिपुरासुर कहा गया। शर्त के अनुसार भगवान शिव ने अभिजित नक्षत्र में असंभव रथ पर सवार होकर असंभव बाण चलाकर उनका संहार किया था) के साथ युद्ध कर उनका संहार किया व सब पर अपनी कृपा की। हे भगवन भागीरथ के तप से प्रसन्न हो कर उनके पूर्वजों की आत्मा को शांति दिलाने की उनकी प्रतिज्ञा को आपने पूरा किया।

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दिल्ली के प्रसिद्ध shiv chalisa lyricsl हनुमान बालाजी मंदिर

स्वामी एक है आस तुम्हारी। आय हरहु अब संकट भारी॥

शनिदेव मैं सुमिरौं तोही। विद्या बुद्धि Shiv chaisa ज्ञान दो मोही॥ तुम्हरो नाम अनेक बखानौं। क्षुद्रबुद्धि मैं जो कुछ जानौं॥

क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥ शंकर हो संकट के नाशन ।

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